उपायुक्त का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर कर लोगों से ठगी करने का गंभीर मामला।

नोट: https://www.facebook.com/share/16VDtkkdTR/ यह उपायुक्त हजारीबाग का आधिकारिक फेसबुक लिंक है।


झारखंड में उपायुक्त (कलेक्टर/डीसी) के नाम पर फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर ठगी करने के गंभीर मामले सामने आए हैं। यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है जहां साइबर अपराधी उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की विश्वसनीयता का फायदा उठाकर आम जनता को गुमराह कर रहे हैं और उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश कर रहे हैं।

इसी साइबर क्राइम से जुड़ा एक गंभीर मामला उपायुक्त श्रीमती नैंसी सहाय, हजारीबाग के फर्जी फेसबुक अकाउंट (आधिकारिक फोटो का इस्तेमाल करता हुआ) बना कर लोगों को वित्तीय नुकसान करने की मंशा से चैटिंग करने का मामला प्रकाश में आया है। उपायुक्त ने तमाम जिलेवासियों, अधिकारियों,सगे संबंधियों, शुभचिंतकों से अपील किया है कि इस प्रकार के फर्जी फेसबुक अकाउंट पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया न दे तथा इस मामले की रिपोर्ट कर ब्लॉक करें।

फर्जी प्रोफाइल बनाकर अपराधी उपायुक्त के नाम, फोटो और पदनाम का उपयोग करके एक नकली फेसबुक प्रोफाइल बनाते हैं।

 फ्रेंड रिक्वेस्ट और मैसेज: इस नकली प्रोफाइल से लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जाती हैं, ताकि उन्हें लगे कि वे वास्तविक उपायुक्त से जुड़ रहे हैं।

 ठगी का प्रयास: एक बार जब कोई व्यक्ति फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेता है, तो अपराधी मैसेंजर के माध्यम से विभिन्न बहाने बनाकर पैसे की मांग करते हैं। यह व्यक्तिगत आपात स्थिति, किसी परियोजना के लिए दान, या किसी अन्य प्रकार की मदद के नाम पर हो सकता है।

 सतर्क रहें: उपायुक्त या अन्य सरकारी अधिकारी के नाम से आने वाली संदिग्ध फ्रेंड रिक्वेस्ट या मैसेज से सावधान रहें।

 पुष्टि करें: यदि आपको किसी उपायुक्त के नाम से कोई फ्रेंड रिक्वेस्ट या संदेश मिलता है, तो उसकी सत्यता की पुष्टि किए बिना उस पर विश्वास न करें। 

 रिपोर्ट और ब्लॉक करें: यदि आपको कोई फर्जी प्रोफाइल या संदिग्ध मैसेज मिलता है, तो उसे तुरंत फेसबुक पर रिपोर्ट करें और उस आईडी को ब्लॉक कर दें।

स्थानीय पुलिस/साइबर सेल को सूचित करें: ऐसे मामलों की जानकारी तुरंत अपने जिले के साइबर सेल या स्थानीय पुलिस को दें। कई जिलों में साइबर पुलिस थानों में प्राथमिकी (FIR) भी दर्ज कराई गई हैं और जांच जारी है।

सोशल मीडिया पर उनकी आधिकारिक सूचनाएं केवल जिला प्रशासन के सत्यापित माध्यमों से ही जारी की जाती हैं।

उपायुक्त के नाम पर फर्जी अकाउंट बनाकर ठगी करना एक गंभीर साइबर अपराधिक मामला है। जिला प्रशासन और पुलिस विभाग इन मामलों को गंभीरता से ले रहे हैं और दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।