मुनका बगीचा शिव मंदिर विवाद सुलझा, मूर्तियों की पुनः स्थापना पर बनी आपसी सहमति


हजारीबाग जिले में स्थित मुनका बगीचा धर्मशाला परिसर के प्राचीन शिव मंदिर से जुड़ा विवाद रविवार को एक बड़ी सामूहिक सहमति के साथ शांतिपूर्ण ढंग से सुलझ गया। मंदिर में स्थापित मूर्तियों और शिवलिंग को हटाए जाने के बाद कानी बाजार मुहल्ले के लोगों में गहरा आक्रोश देखने को मिला। सुबह से ही स्थानीय लोग मुनका बगीचा धर्मशाला के सामने मुख्य सड़क पर धरने पर बैठ गए और उन्होंने मंदिर की मूर्तियों और शिवलिंग की तत्काल पुनः स्थापना की मांग उठाई।

इस मुद्दे को लेकर स्थानीय जनता का गुस्सा मुनका समाज धर्मशाला कमेटी के प्रति साफ नजर आ रहा था। लोगों का कहना था कि बिना किसी सूचना या जन सहमति के मंदिर की प्राचीन संरचना से छेड़छाड़ करना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है। क्षेत्रीय लोगों की भावना जुड़ी होने के कारण यह मामला धीरे-धीरे बड़ा रूप लेने लगा, लेकिन समय रहते प्रशासनिक महकमा सक्रिय हुआ और दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित करने की कोशिश शुरू कर दी गई।

स्थानीय प्रशासन के लगातार प्रयासों और सामाजिक नेताओं की पहल से आखिरकार स्थिति नियंत्रण में आई। चर्चाओं और समझाइशों के बाद एक आपसी सहमति बनी, जिसके तहत यह निर्णय लिया गया कि मंदिर को उसी स्थान पर पूर्ववत स्वरूप में पुनः स्थापित किया जाएगा। यह सहमति एक लिखित समझौते के रूप में तैयार की गई, जिसमें मंदिर की सार्वजनिक पूजा-पाठ के लिए उपलब्धता की भी पुष्टि की गई।

इस पूरे मामले को सुलझाने में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता मुन्ना सिंह की भूमिका सराहनीय रही। उन्होंने मध्यस्थता करते हुए स्थानीय समाज के अध्यक्ष राधेश्याम अग्रवाल, अनुमंडल पदाधिकारी और धर्मशाला कमेटी के अन्य पदाधिकारियों के साथ कई दौर की वार्ता की। अंततः शाम को सभी पक्षों की उपस्थिति में एक ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसे लोगों ने संतोषपूर्वक स्वीकार किया।

धरने पर बैठे समाजसेवी मनोज नारायण भगत, जो कि इस मुद्दे को लेकर अनशन पर थे, उन्होंने भी समझौते के बाद अपना अनशन समाप्त किया। वरिष्ठ नेता मुन्ना सिंह ने स्वयं उन्हें जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया, जो सामाजिक समरसता और राजनीतिक जिम्मेदारी का एक सुंदर उदाहरण बन गया।

दिनभर का माहौल शांतिपूर्ण रहा, लेकिन लोगों की धार्मिक भावनाओं की तीव्रता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। अंत में जो सहमति बनी, उसने यह साबित कर दिया कि बातचीत और एकजुटता से किसी भी गंभीर मुद्दे का समाधान निकाला जा सकता है।