संजीवनी सेवा कुटीर हटाने पर बवाल – नेताओं ने राज्य सरकार पर बोला हमला


झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवर दास हजारीबाग पहुंचे, जहाँ उन्होंने हजारीबाग सदर विधायक प्रदीप प्रसाद के आवास पर आयोजित एक विशेष प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान रघुवर दास के साथ सदर विधायक प्रदीप प्रसाद एवं बरही विधायक मनोज कुमार यादव मौजूद रहें,तीनों नेताओं ने संजीवनी सेवा कुटीर को लेकर राज्य सरकार की कार्रवाई को जनविरोधी, दुर्भावनापूर्ण और संवेदनहीन करार दिया।

विधायक प्रदीप प्रसाद ने संजीवनी सेवा कुटीर से जुड़े घटनाक्रम को विस्तार से रखते हुए कहा कि यह सेवा केंद्र सिर्फ एक हेल्प डेस्क नहीं था, बल्कि एक जन भावनाओं से जुड़ा केंद्र था, जहां हजारों जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देश, मार्गदर्शन, रक्तदान, दवा उपलब्धता और अन्य चिकित्सकीय सहायताएं दी जा रही थीं। उन्होंने कहा की सरकारी अस्पताल परिसर में यह सेवा लोगों की सुविधा और आपात जरूरत को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई थी। विधायक ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार और विशेष रूप से स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के द्वारा इस सेवा में कार्यरत शिक्षित युवाओं पर झूठे आरोप लगाए गए, उन्हें भला-बुरा कहा गया, और उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया।

प्रदीप प्रसाद ने कहा मैं राज्य सरकार को खुला चैलेंज देता हूं  अगर एक भी वीडियो फुटेज या प्रमाण है, जिसमें इन युवाओं की कोई गलती सिद्ध होती हो, तो सार्वजनिक करें। ये सभी युवा पढ़े-लिखे, अनुशासित और समाजसेवा के लिए समर्पित हैं। इस प्रेस वार्ता में मौजूद बरही विधायक मनोज कुमार यादव ने भी राज्य सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा की संजीवनी सेवा कुटीर को हटाना सिर्फ कुटीर को हटाना नहीं है, यह जनता की भावनाओं को रौंदने जैसा है। इस सेवा केंद्र से सैकड़ों लोगों को हर दिन मदद मिल रही थी। लेकिन राज्य सरकार ने इसे भी राजनीतिक चश्मे से देखा और द्वेषवश कार्रवाई की। उन्होंने आगे कहा की जनता ने हमें सेवा करने के लिए चुना है, और हम किसी भी कीमत पर उनकी भावनाओं से समझौता नहीं करेंगे। यदि सरकार सोचती है कि ऐसी कार्रवाई से हम डर जाएंगे, तो यह उसकी भूल है। हम हर स्तर पर जनता के अधिकार और सम्मान की लड़ाई लड़ेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस स्थान पर जनसेवा हो रही हो, वहां पर सरकार का हस्तक्षेप करना और सेवा को बंद कराना बहुत ही संकीर्ण सोच और कुंठित मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सेवा की कोई सीमा नहीं होती। कोई व्यक्ति अस्पताल बनाकर सेवा करता है, कोई अस्पताल में जाकर सेवा करता है। ऐसे कार्यों से न सिर्फ जनता को राहत मिलती है, बल्कि सरकार की जिम्मेदारी भी हल्की होती है। मगर दुर्भाग्य है की इस राज्य की सरकार सेवा कार्यों को भी राजनीतिक चश्मे से देखती है। रघुवर दास ने आगे कहा कि विधायक प्रदीप प्रसाद ने जनता की भावना को समझते हुए, सरकारी संसाधनों का कोई दुरुपयोग किए बिना, एक शांतिपूर्ण, अनुशासित और जनसेवा मूलक व्यवस्था खड़ी की थी। उन्होंने सरकार से सवाल किया की अगर यह सेवा गलत थी, तो क्यों हज़ारों लोग इसके समर्थन में आए? क्यों हजारों मरीजों को इससे राहत मिली? दोनों नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कार्रवाई एक राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित थी और यह राज्य सरकार की असहिष्णुता और सेवा-विरोधी मानसिकता को उजागर करती है। इस मौके पर स्थानीय भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं मौजूद थे। उन्होंने भी एक स्वर में राज्य सरकार की इस कार्रवाई का विरोध किया और इसे जनहित के विरुद्ध बताया। प्रेस वार्ता के अंत में रघुवर दास, मनोज कुमार यादव एवं प्रदीप प्रसाद तीनों ने यह संकल्प लिया कि वे जनता की सेवा के इस मार्ग से कभी पीछे नहीं हटेंगे और हर मोर्चे पर आम लोगों की आवाज को बुलंद करते रहेंगे।