झारखण्ड के कई जिलों में बिक रहा है लोचर गांव के मालदा आम, आम के मुनाफे से होता है सार्वजनिक काम।


केरेडारी। हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखण्ड अंतर्गत एक लोचर गांव है।यह गांव केरेडारी प्रखण्ड के कृषि प्रधान गांव के नाम से प्रसिद्ध है।इसी कड़ी में ग्रामीणों ने वर्ष 1994 में 300 सौ मालदा आम के पौधे लगाए है।जिसमे शेष बचे 200 सौ पौधे अब पेड़ बन चुका है एवं वर्ष 2011 से पर्याप्त मात्रा में आम का फल उत्पादन हो रहा है।साथ ही प्रत्येक वर्ष यहां के किसान ढाई लाख से तीन लाख का आम बेचते है।साथ गांव के कुल 76 घरों में प्रति घर खाने के लिए 50 किलो प्रति घर वितरण करते है।आम को बचाने के लिए 'ग्राम बिकास समिति' का गठन किया गया है।जिसका संरक्षक गांव के कृषक मीनू महतो है एवं अध्यक्ष प्रभु महतो है।समिति के लोगो ने गांव के बाहर एक बोर्ड लगाया है,जिसमे लिखा है कि ,लोचर है गांव का नाम,हरियाली है पहचान।पेड़ लगाना गांव का शान,यही है यहां के लोगो का अरमान,आम तोड़ना मना है,पकड़े जाने पर 500 लगेगा जुर्माना।

कैसे होता है आम की रखवाली - गांव के सभी लोग अपने अपने घरों के समाने लगे पेड़ की खुद रखवाली करते है साथ ही बाहरी लोगों पर नजर रखतें है,इस तरह पूरे आम बच जाता है।

कहाँ-कहाँ है बाजार।-आम का बिक्री का समय होता है तब हजारीबाग बाजार मंडी से व्यापारी गांव पहुँचते है अभी आम को तोड़वाकर ले जाते है एवं व्यापारी हजारीबाग,रामगढ़,रांची,चतरा, जमशेदपुर,कोडरमा,गिरिडीह,धनबाद के बाजारों में पहुचाते है।

कहाँ लगाया जाता है बेचे गए आम के पैसे-इस बाबत  गांव के मीनू महतो,निरंजन महतो,फूलचंद महतो,कुलेश्वर महतो,रूपलाल महतो,महावीर महतो,प्रदीप प्रसाद, प्रकाश महतो ने बताया कि आम के पैसे को सार्वजनिक कार्य मे लगाया जाता है,सबसे पहले सिंचाई कार्य को दुरूस्त किया जाता है एवं गरीब की बेटी की शादी में मदद किया जाता है,एव�