हजारीबाग झील पर अंधेरा, सामने न्यायाधीश आवास में उजाला — छठ पर्व पर दिखा व्यवस्था का असमान चेहरा


लोक आस्था के महापर्व छठ के दौरान हजारीबाग झील का दृश्य इस बार श्रद्धा और व्यवस्था के बीच की गहरी खाई दिखा गया।

जहाँ एक ओर व्रती महिलाएँ सूर्य उपासना संपन्न कर अंधेरे में घर लौट रही थीं, वहीं झील के ठीक सामने स्थित प्रधान एवं सत्र न्यायाधीश का आवास दूधिया रोशनी में नहाया हुआ था।

मुख्य छठ घाट और आसपास का पूरा इलाका सोमवार शाम पूजा के समय अंधकार में डूबा रहा। बिजली व्यवस्था पूरी तरह नदारद थी और सुरक्षा की कोई ठोस तैयारी दिखाई नहीं दी। श्रद्धालु महिलाएँ मोबाइल की टिमटिमाती रोशनी में अपने दौरे और पूजन सामग्री को सँभालते हुए घर लौटती नजर आईं।

वहीं दूसरी ओर, न्यायाधीश आवास में हर कोना जगमगा रहा था।

दोनों दृश्य एक साथ देखे जाएँ, तो यह शहर की असमान रोशनी की कहानी कह देते हैं — एक ओर जनता की आस्था का अंधेरा, और दूसरी ओर सत्ता की जगमगाहट।स्थानीय लोगों का कहना है कि हर वर्ष छठ पर्व पर घाटों पर बिजली, सुरक्षा और स्वच्छता की समुचित व्यवस्था का वादा किया जाता है,

लेकिन इस बार फिर वही उपेक्षा देखने को मिली। छठ पर्व को सूर्य देव की आराधना और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इस बार यह पर्व खुद अंधेरे में डूबा दिखा।

हजारीबाग झील का यह दृश्य प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन गया — जहाँ जनता अपनी रोशनी खुद तलाश रही थी, और व्यवस्था केवल अपने आँगन तक उजाला पहुँचा रही थी।