हजारीबाग में शुक्रवार को हुई घटनाओं ने हर संवेदनशील मन को झकझोर कर रख दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय के.बी. सहाय जी और जनजातीय स्वाभिमान के प्रतीक वीर सिद्धू-कान्हू जी की प्रतिमाओं को खंडित किया जाना न केवल हमारे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों का अपमान है, बल्कि यह शहर की शांति, सौहार्द और सामाजिक एकता को खंडित करने का एक सुनियोजित प्रयास प्रतीत होता है।
महापुरुषों की प्रतिमाएं हमारे अतीत की जीवित स्मृति होती हैं। वे हमें प्रेरणा देती हैं, संघर्ष की राह दिखाती हैं और समाज को एकजुट रखती हैं। उनकी प्रतिमाओं को तोड़ना मात्र एक मूर्ति को क्षतिग्रस्त करना नहीं, बल्कि पूरे समाज के आत्मसम्मान पर हमला है। यह कृत्य हर उस व्यक्ति की भावना को आहत करता है, जो अपने इतिहास, अपने आदर्शों और अपनी मिट्टी से प्रेम करता है। इन घटनाओं को लेकर युवा समाजसेवी हर्ष अजमेरा ने गहरी पीड़ा और आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा की यह केवल एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि हमारी ऐतिहासिक चेतना पर कुठाराघात है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है की इस गंभीर मामले में शीघ्र और कठोर कार्रवाई की जाए। दोषियों की पहचान कर उनके विरुद्ध सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो सके। हर्ष अजमेरा ने यह भी कहा की हजारीबाग की जनता शांति प्रिय है, लेकिन जब बात हमारे महापुरुषों के सम्मान की आती है, तो हम सब एकजुट होकर आवाज़ उठाएंगे। हमारी विरासत की रक्षा, हमारी भावनाओं की रक्षा, और हमारी अस्मिता की रक्षा यही आज का सबसे बड़ा धर्म है। युवा समाज इस घटना की भर्त्सना करता है और प्रशासन से यह अपेक्षा करता है की वह इस विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए दोषियों को न्याय के कठघरे तक पहुँचाए। हजारीबाग की पावन धरती को बाँट