मरहन्द की सड़क रात के अंधेरे में तोड़ी गई, ग्रामीणों में आक्रोश, विभाग अनभिज्ञ, निजी मीडिया प्रतिनिधि विक्की कुमार धान ने किया स्थलीय निरीक्षण, कार्यपालक अभियंता से की मुलाकात


हजारीबाग- कटकमदाग प्रखंड के बेस पंचायत अंतर्गत मरहन्द गांव की वह सड़क जो वर्षों से ग्रामीण जीवन का आधार बनी हुई थी, उसे मंगलवार की रात अचानक अंधेरे में तोड़ दिए जाने की घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। यह सड़क, जो किसानों को खेतों से मंडी तक, विद्यार्थियों को स्कूल तक और मरीजों को अस्पताल तक पहुँचाने का प्रमुख माध्यम रही है, उसे बिना किसी पूर्व सूचना, जन-जानकारी या आधिकारिक बोर्ड के, गुप्त रूप से ध्वस्त कर दिया गया। घटना की जानकारी मिलने पर ग्रामीणों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और निजी मीडिया प्रतिनिधि विक्की कुमार धान को आग्रहपूर्वक मरहन्द बुलाया। बुधवार को उन्होंने गांव पहुँचकर न सिर्फ घटनास्थल का निरीक्षण किया, बल्कि पीड़ित ग्रामीणों से बातचीत कर पूरे घटनाक्रम को समझा। ग्रामीणों का कहना था कि इस सड़क को तोड़े जाने से पहले न तो कोई सूचना दी गई, न ही कोई जनसभा हुई, और न ही संबंधित पंचायत प्रतिनिधियों को विश्वास में लिया गया। स्थानीय लोगों ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि यह कार्य रात के सन्नाटे में जानबूझकर किया गया ताकि जनता विरोध न कर सके और काम पूरी तरह गोपनीय रखा जा सके। उनका कहना था कि जिस सड़क ने वर्षों तक गांव के सामाजिक और आर्थिक जीवन को गति दी, उसे इस तरह अचानक तोड़ना एक आपराधिक लापरवाही है। इससे न केवल लोगों की आवाजाही प्रभावित हुई है, बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में इलाज, शिक्षा और ज़रूरी संसाधनों तक पहुँच भी बाधित हो गई है। पूरे मामले को लेकर जब विक्की कुमार धान ने मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यपालक अभियंता बालकिशोर किसकु से मुलाक़ात की, तो उन्होंने इस घटना पर अपनी अनभिज्ञता प्रकट की। अभियंता  ने कहा कि उन्हें इस विषय में किसी प्रकार की जानकारी नहीं है और यह सुनकर वे भी चकित हैं। उन्होंने वादा किया कि वह इस मामले में त्वरित जाँच करवाएंगे और यदि कोई अनियमितता पाई जाती है, तो ज़िम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। जब एक पूरी सड़क को तोड़ा जा रहा हो और विभाग के सबसे जिम्मेदार अधिकारी को ही इसकी खबर न हो, तो यह प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर गहरे सवाल खड़े करता है। जनता के पैसों से बनी सड़क जनता की ही संपत्ति होती है, और उसे हटाने या पुनर्निर्माण करने से पहले जनता को विश्वास में लेना प्रशासन का कर्तव्य है, न कि विकल्प। मरहन्द गांव की जनता इस घटनाक्रम से बेहद आहत है और अब वे चुप रहने को तैयार नहीं हैं। गांव में चर्चा है कि यह केवल एक सड़क नहीं, बल्कि उनकी बुनियादी ज़रूरत, उनकी गरिमा और उनके आत्मसम्मान का प्रश्न है। ग्रामीणों का विश्वास है कि यदि अब भी आवाज़ न उठाई गई, तो ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी। विक्की कुमार धान ने मौके पर मौजूद रहकर ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि वे इस विषय को प्रशासनिक स्तर पर भी उठाएंगे और मीडिया में जनहित की बात प्रमुखता से रखेंगे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज़ सर्वोपरि होती है और किसी भी विकास योजना में पारदर्शिता, भागीदारी और संवेदनशीलता अनिवार्य है। बिना सूचना और अनुमति के सड़क तोड़ना केवल तकनीकी लापरवाही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों का भी अपमान है।